लेखिनी 15 पार्ट सीरीज प्रतियोगिता # सती बहू(भाग:-5)
गतांक से आगे:-
चंदा आज जब कुएं से पानी भर कर लौट रही थी तो अचानक से उसे चक्कर सा आ गया ।सारा दिन बिना कुछ खाये पीये ब्याह के घर में काम करती रही फिर सदमा भी जोर का लगा था ।वह जब मटका लेकर गिरने को हुई तभी अचानक से दौड़ कर दो हाथों ने उस थाम लिया ।चंदा को बेहोशी छा गयी थी जब होश आया तो अपने पास किसी नौजवान को बैठे पाया ।वह एकदम लज्जा कर उठी और माथे तक घूंघट निकाल लिया।तभी वह नौजवान बोला," अरेरेरे… चंदू मुझे पहचाना नहीं मैं श्याम हूं , तुम्हारे गांव के बंसी काका का भतीजा।तुम मुझे कैसे भूल सकती हो।हम दोनों बचपन में साथ साथ मिट्टी के घर बना कर खेला करते थे ।देखो तुम मुझे भूल गयी पर मैं नहीं भूला।"
चंदा ने हल्का सा घूंघट ऊपर किया और उस नौजवान को पहचानने की कोशिश करने लगी फिर कुछ याद सा आया तो बोली,"अरे….. श्यामू तुम , तुम यहां कैसे ? तुम तो सहर में थे ना पढ़ने के लिए गये थे ।"
" हां , हां चंदू मेरी पढ़ाई पूरी हो गई तो जागीरदार साहब (चंदा के ससुर) कोई पुल का निर्माण करवा रहे हैं बस उसी में इंजीनियर बन कर आया हूं ।बंसी काका से ये तो पता चल गया था कि तुम्हारी शादी इसी गांव में हुईं हैं पर ये देखो इत्तेफाक मेरा भी काम उसी घर में निकल आया जिस में तुम ब्याही थी।"
चंदा ने गहरी सांस छोड़ी और बोली," अब वो मेरा घर कहां है अब तो कोई और मालकिन बन गयी है उस घर की ।"
श्याम ने उसे सांत्वना देते हुए कहा " मैं सब जानता हूं तुम्हारे साथ क्या क्या हुआ है अगर बच्चा नहीं होता तो क्या औरत का जीवन जीवन नहीं है पर पता नहीं हमारा समाज औरत को ही इस बात का दोषी मानता है चाहे कमी आदमी में ही क्यों ना है। मैं कितने दिनों से तुम्हें हवेली में ढूंढ रहा था पर तुम ना दिखी । तुम्हारे बारे में किसी से पूछ सकता नहीं था फिर मैंने ये कुएं वाला रास्ता ही सही समझा ।तुम कभी ना कभी तो पानी भरने आओगी।बस तभी तुम से पूछूं गा तुम्हारा हाल।"
अपने बचपन के साथी के आगे यूं अपने गृहस्थ को शर्मशार होता देखकर चंदा झट से उठी और मटका सिर पर रखकर बोली, " श्यामू चलती हूं ।कहीं किसी ने तुम से बात करते मुझे देख लिया तो एक आसरा मिला है वो भी छूट जाएगा।" आंखों में पानी भरे चंदा घर की ओर चल दी।
कहने को तो श्याम ने काम का बहाना बना दिया था कि वो इस गांव में काम के सिलसिले में आया है पर वास्तव में वो बचपन से ही चंदा को चहाता था ।वो जब भी मिट्टी के घरौंदे बनाते थे तो श्याम सदा चंदा के साथ अपनी गृहस्थी की कल्पना करता था। कैसे वो काम से वापस आयेगा तो चंदा उसके लिए खाना बना कर रखेगी।बचपन में जब खेलते खेलते चंदा किसी बात से नाराज़ होकर श्याम से रूठ जाती तो श्याम की तो जैसे जान पर बन आती थी जब तक उसे मना नहीं लेता था उसे चैन नहीं पड़ता था। पढ़ाई पूरी होने के बाद जब वह गांव आया था तो उसे पता चला चंदा का ब्याह हो गया है और उसके पिताजी कर्जे के बोझ को ना उठा सकें और अपमान और जिल्लत के कारण चल बसे और भाई को भी महामारी ने निगल लिया। बंसी काका एक दो बार चंदा की ससुराल आये थे उसके तीज त्यौहार लेकर तब चंदा की सास का उसके प्रति बर्ताव देखकर आंखों में पानी भर आया और गांव जाकर चंदा के पिता से बोले" जागीरदार साहब किस नर्क में बेटी ब्याह दी आपने।"
श्याम को जब चंदा की हालत का पता चला तो बचपन का प्यार सिसक उठा श्याम के सीने में और वह उसी समय चंदा के गांव आ गया । यहां कुछ समय किराये के कमरे में रहा फिर धीरे-धीरे जान पहचान बना कर चंदा के ससुर (जागीरदार) से मुलाकात की उन्हें अपने पुल के निर्माण के लिए एक इंजीनियर की जरूरत थी सोई श्याम ने इतना कम मेहनताना मांगा कि चंदा के ससुर तुरंत उसे काम देने के लिए तैयार हो गये।वो सारा परिवार शक्की मिजाज का था इसलिए श्याम ने अपने गांव का नाम कोई और बताया था।
वह हर समय इस टोह में रहता किसी तरह चंदा से मिलना हो जाए ।जब वह कभी कभार हवेली से पानी के लिए निकलती तो श्याम उसे पेड़ के पीछे से निहारता पर बात कैसे करें क्यों कि चंदा हमेशा गांव की औरतों के साथ होती थी ।
आज भी चंदा अकेली पानी भरने आई थी क्योंकि पानी की एक बूंद भी नहीं थी और शाम का धुंधलका बढ़ चुका था औरते पानी भर कर अपने घरों को लौट चुकी थी।तभी श्याम की मुलाकात चंदा से सम्भव हो पाई।
श्याम का मन चंदा का उदास चेहरा देखकर बैचैन हो गया था वह यही सोचता अपने कमरे की तरफ जा रहा था कि किस तरह चंदा के चेहरे पर मुस्कान लाई जा सकती है।
क्या श्याम अपने प्यार का इजहार चंदा से कर पायेगा ।ये जानने के लिए अगले भाग का इंतजार….
(क्रमशः)
HARSHADA GOSAVI
15-Aug-2023 12:51 PM
Nice
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Abhilasha Deshpande
29-Jun-2023 08:22 PM
Very nice
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Irfan
18-Jun-2023 11:03 AM
Nice
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